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Dheerendra Shastri biography | पंडित धीरेंद्र शास्त्री का जीवन परिचय

धीरेंद्र शास्त्री कौन है ?

इनका पूरा नाम श्री धीरेंद्र कृष्ण है, इनका दूसरा निक नाम बागेश्वर धाम महाराज है, जोकि सनातन धर्म के प्रचारक हैं कथावाचक हैं दिव्य दरबार लगाते हैं इनकी बोलचाल की भाषा की बात करें तो तो बुंदेली संस्कृत हिंदी और अंग्रेजी में बात करते हैं

धीरेंद्र शास्त्री की कितनी उम्र है ?

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 को गड़ा छतरपुर मध्य प्रदेश में हुआ था 2023 में यें 27 साल के हो चुके हैं
धीरेंद्र शास्त्री के माता पिता कौन है
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की माता का नाम सरोज गर्ग है और इनकी पिता का नाम राम कृपाल गर्ग है इनके छोटा भाई भी है जिसका नाम है शालिग्राम गर्ग, एक इन की छोटी बहन भी है

धीरेंद्र शास्त्री कहां तक पढ़े हैं ?

धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी शिक्षा का प्रारंभ एक गांव के सरकारी स्कूल से शुरू किया था | धीरेंद्र शास्त्री ने गांव के स्कूल से आठवीं कक्षा तक पढ़े, उसके बाद धीरेंद्र शास्त्री 5 किलोमीटर दूर गंज के स्कूल जाने लगे थे उनके घर की स्थिति खराब होने के कारण उन्हें 5 किलोमीटर पैदल ही रास्ता तय करना पड़ता था |

और इस स्कूल में उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की | इसके बाद आगे की पढ़ाई कला संकाय मे दाखिला ले लिया लेकिन घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद, उसके अलावा धीरेंद्र शास्त्री को धर्म और भक्ति और आस्था में काफी रुचि थी इस कारण उन्होंने आगे की पढ़ाई छोड़ दी |

धीरेन्द्र शास्त्री अपने परिवार मे सबसे बड़े थे जिसके कारण उनकी परिवार की जिम्मेदारी उन पर ज्यादा रहती थी जिसके कारण धीरेंद्र शास्त्री को कईयों के घर जा -जा कर भिक्षा मांगना पड़ती थी और उसके साथ ही कई जगह वह कथा करके और पूजा करके भी अपने घर का भरण पोषण किया करते थे |

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादाजी भी बागेश्वर धाम में दरबार लगाते थे 11 वर्ष की अवस्था में धीरेंद्र ने अपने दादाजी के दरबार में अर्जी लगाई उन्होंने घर के गृहस्थ जीवन से छुटकारा पाने के लिए आशीर्वाद मांगा तब इनके दादा जी ने धीरेंद्र को अपना शिष्य बना लिया फिर बागेश्वर धाम की सेवा करने का संकल्प दिलाया

धीरेंद्र शास्त्री को आलोकिक शक्तियां कैसे प्राप्त हुई ?

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का मानना है कि उन्हें जो भी ज्ञान और अलौकिक शक्तियां प्राप्त हुई है वह सभी उनके दादाजी और सन्यासी बाबा की कृपा का ही परिणाम है उनके दादाजी पहले से ही ग्रस्त आश्रम को छोड़कर सन्यास आश्रम में प्रवेश कर चुके थे 2010 में इनके दादा जी ( भगवानदास गर्ग ) सेतु लाल गर्ग ने काशी में अपने देह को त्याग दिया

धीरेंद्र शास्त्री के परम मित्र

धीरेंद्र शास्त्री के परम मित्र शेख मुबारक हैं, जिन्होंने धीरेंद्र शास्त्री के खराब वक्त में साथ दिया | ओर धीरेंद्र शास्त्री और शेख मुबारक की यह दोस्ती आज भी कायम है | जिसकी चर्चा आपको बागेश्वर सरकार के कई मंचों पर सुनने को मिलती है | धीरेंद्र शास्त्री की शेख मुबारक जी से मुलाकात एक घटना पर हुई थी |

शेख मुबारक जी अपने काम से छतरपुर अक्सर जाया करते थे तभी अचानक उनकी मुलाकात बागेश्वर धाम धीरेंद्र शास्त्री से हुई, उसके बाद यह दोनों मिलकर अपने – अपने धर्म की चर्चा करने लगे | शेख मुबारक ने सनातन धर्म को लेकर कई टिप्पणी की, उसके बाद धीरेंद्र शास्त्री ने उनकी भ्रम को शांत किया और दोनों की अच्छी मित्रता हो गई, उसके बाद अक्सर शेख मुबारक बागेश्वर धाम सुंदरकांड का पाठ सुनने जाने लगे |

और शेख मुबारक के जीवन में कई अच्छे चमत्कार हुए, उसके बाद दोनों की मित्रता और गहरी हो गई, धीरेंद्र शास्त्री की बहन का विवाह आया उस विवाह में शेख मुबारक ने काफी मदद की, और उस विवाह में शामिल भी हुए |

बागेश्वर धाम कहां पर है ?

छतरपुर जिले से मात्र 30 किलोमीटर दूर गंज के पास गड़ा गांव में श्री बागेश्वर धाम स्थित है यहां पर लगभग 300 वर्ष पुराना हनुमान जी का मंदिर है यहां पर जो भी श्रद्धालु सच्ची भक्ति भावना से अपनी समस्याओं को लेकर आता है श्री राम जी की कृपा से हनुमान जी उसकी सभी मनोकामना को पूरा करते हैं
बागेश्वर धाम की कैसे अर्जी लगाई जाती है
बागेश्वर धाम की खासियत यह है कि यहां पर श्रद्धालुओं को अर्जी लगानी होती है

उनकी अर्जित स्वीकार होने पर बागेश्वर सरकार यानी कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी बिना उनसे बात किए उनकी समस्याओं को धाम के पर्चे पर उल्लेखित कर देते हैं इसके पश्चात उस व्यक्ति से उसकी समस्याओं की जानकारी दी जाती है उसकी द्वारा बताई गई सभी समस्याएं पहले से ही परिचय पर शत-प्रतिशत सच होती हैं इस बात की पड़ताल बड़े-बड़े मीडिया चैनल धर्म को ना मानने वालों ने की है लेकिन अंत में उन्हें भी बागेश्वर धाम में होने वाले चमत्कारों के आगे नतमस्तक होना पड़ा है

दोस्तों कुछ इस तरह धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कहानी है |

बागेश्वर धाम की अर्जी कैसे लगाते हैं

जब भी श्रद्धालु बागेश्वर धाम पहुंचते हैं तो उनको नंबर लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है, उसके बाद आपको टोकन प्राप्त होगा जिसमें श्रद्धालु का नाम, मोबाइल नंबर, स्थान आदि के बारे में बताना पड़ता है |

जो भी फरियादी होता है उसको लाल कपड़े में नारियल बांधकर अपनी जो भी समस्या है उसको दोहराना है इस प्रकार आपको अर्जी बांधना पड़ती है, दो प्रकार की अर्जी लगती हैं एक लाल कपड़े में अर्जी लगती है एक काले रंग के कपड़े अर्जी लगती है, काले कपड़े में सिर्फ भूत प्रेत बाधा की अर्जी लगती है और इसके अलावा और भी समस्या है तो लाल कपड़े को बांधकर अर्जी लगती है |

जिस जगह पर अर्जी लगती है वहां आपको 21 बार परिक्रमा लगाना है और इस परिक्रमा में जो भी आपकी समस्या है या मुराद है इस समय आपको दोहराना है |

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