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Premanand ji maharaj kidney story | प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनी की कहानी

Premanand ji maharaj kidney story

प्रेमानंद जी महाराज बिना किडनी के आज भी कैसे जिंदा हैं क्या हम इसको एक चमत्कार मान सकते हैं इस बात का खुलासा स्वयं महाराज जी ने किया है जो मैं अपने द्वारा कहने जा रहा हूं |

श्री हित प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय

प्रेमानंद जी महाराज :- आज हम ऐसे महान संत के बारे में जानने वाले हैं जिनकी वर्षों से दोनों किडनी खराब है क्योंकि जिनकी किडनी खराब हो जाती हैं वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं लेकिन महाराज की दोनों किडनी कई वर्षों से खराब है उसके बावजूद भी आज महाराज जी बिल्कुल स्वस्थ हैं |

हम बात कर रहे हैं श्री हित प्रेमानंद जी महाराज के बारे में जिनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है इनका जन्म सरसौल कानपुर उत्तर प्रदेश में हुआ था प्रेमानंद जी महाराज के घर का वातावरण अत्यंत भक्ति पूर्ण और शुद्ध और शांत रहता था |

प्रेमानंद जी महाराज जब पांचवी कक्षा में थे तभी से उन्होंने चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया था महाराज जी छोटी सी उम्र में ही अपने जीवन के उद्देश्य के बारे में विचार करने लगे महाराज जी के मन में ऐसा विचार आया की माता-पिता का प्रेम तो चिरस्थाई है और यदि नहीं है तो यह सुख कुछ समय के लिए है तो महाराज जी ने विचार बनाया कि क्यों नहीं मैं ऐसे शख्स का हाथ पकड़ो जो मेरा हाथ जीवन भर भी ना छोड़े, फिर महाराज जी ने भगवान को पाने के लिए भक्ति करने लगे और उन्होंने श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जाप शुरू कर दिया |

और उसके बाद ही 13 साल की उम्र में अपना घर छोड़ कर चले गए उसके बाद महाराज जी का नाम आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी रखा गया | महाराज जी ने अपना साधक के रूप में जीवन गंगा नदी के तट पर बिताया और इस प्रकार महाराज की गंगा जी दूसरी मां बन गई और भिक्षा मांग कर अपना पेट भरते थे जिस दिन कुछ नहीं मिलता था उस दिन उपवास के रूप में उनका दिन निकल जाता था जब ठंड पड़ती थी तो उनका शरीर सर्दी के कारण बहुत कापता था लेकिन महाराज जी भक्ति में ऐसे खो गए कि उनको कुछ पता ही नहीं चला कि यह सब समय कैसे निकलता गया

और इस कठिन तपस्या से महाराज जी को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ एक समय महाराज जी बनारस की पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे थे तभी उनका ध्यान वृंदावन की ओर आकर्षित हुआ उसके बाद प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन चले गए वहां गए तो वहीं के बने रह गए महाराज जी का दिल वही लग गया

महाराज जी ने कम से कम 10 वर्षों तक अपने सतगुरु की सेवा में रहे, महाराज जी ने उनकी सेवा पूरी निष्ठा से की और जल्दी महाराज जी अपने गुरु की कृपा से और श्री वृंदावन धाम की कृपा से श्री राधा रानी के भक्ति में पूरी तरीके से लीन हो गए

और यह तो आप सभी जानते ही होंगे कि किस प्रकार राधा रानी की कृपा है श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी पर कि आज उनकी दोनों किडनी कई वर्षों से खराब होने के बावजूद भी आज एकदम स्वस्थ हैं उनको देखने से नहीं लगता है कि उनकी दोनों किडनी खराब हैं उनके शरीर में इतनी पीड़ा होने के बाद भी वे अपना सत्संग पूरे उत्साह के साथ करते हैं |

अब बात करते हैं प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनी की कहानी ( Premanand Ji maharaj kidney story ) के बारे मे :- महाराज जी ने स्वयं इसके बारे में बताया हैं |

महाराज जी को किडनी खराब होने का कब पता चला ?

महाराज गोविंद शरण जी बताते हैं कि जब वे 35 वर्ष के थे तब उन्हें पेट में दर्द का एहसास हुआ, तो उन्होंने डॉक्टर से जांच कराई, जांच कराने पर पता चला, कि उनकी दोनों ही किडनी खराब होती चली जा रही हैं कुछ समय बाद उनकी दोनों किडनी बिल्कुल खत्म हो जाएंगी इन हालातों को देखते हुए डॉक्टरों ने बताया कि आप ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 साल तक जीवित ओर रह सकते हैं

किडनी क्या होती है नहीं जानते थे ?

महाराज जी कहते हैं कि उस समय उन्हें मालूम ही नहीं था कि किडनी क्या होती है क्योंकि उन्होंने अपना जीवन संत महात्माओं और यमुना नदी के किनारे रहकर बिताया है डॉक्टर के बताने पर पता चला है कि यह अंग भी होते हैं जिनके खराब होने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है

महाराज जी की किडनी कितने सालों से खराब है ?

महाराज जी की पिछले 19 सालों से दोनों किडनी खराब है फिर भी महाराज जी रोज सत्संग प्रवचन नित्य नियम के कार्य करते हैं उन्हें देखकर एक क्षण भी ऐसा नहीं लगता है कि वे बीमार हैं उनका कहना है कि यह सब राधारानी जी की कृपा है और उन्हीं की कृपा से आज उनकी खराब किडनी कार्य कर रही हैं

महाराज अपनी किडनी का इलाज क्यों नहीं करा रहे हैं ?

महाराज जी के प्रति आस्था रखने वाले बहुत सारे लोगों ने महाराज जी को अपनी किडनी देने की बात भी कही है पर इस पर उनका कहना है कि जब तक राधा रानी चाहेंगे अपनी सेवा करवाएंगे वे इस बात में बिल्कुल भी श्रद्धा नहीं रखते कि दूसरे के शरीर को कष्ट पहुंचा कर अपने शरीर का पोषण करना चाहिए यदि राधा रानी जी को जगत मंगल का कार्य करवाना होगा तो मेरी दोनों खराब किडनी भी कार्य करेंगी

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